एक साक्षात्कार व्यंग्यकार जी के साथ

आज अचानक सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई जी  से मेरी मुलाकात हो गयी. व्यंग्य के सरताज और मेरे गुरु को अपने निकट देखकर मैं खुश तो था ही…हैरान भी था.वैसे आप सब को मैं बता दूं कि  हरिशंकर जी मेरे गुरु रहे हैं. घर में उनकी तस्वीर लगाकर और उनको साक्षी मानकर एकलव्य की तरह लेखन कार्य करता रहा हूँ.कभी उनके […]

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उपवास की महिमा

शहर के नेताजी ने उपवास करने का निर्णय लिया है. शहर में अमन रहे, चैन रहे, इस कामना को लेकर वे उपवास रखेंगे. उनके इस उपवास की खबर पूरे शहर में फ़ैल गयी है.विपक्षी लोग नेताजी के इस कदम से सकते में हैं. शहर की प्रमुख विपक्षी पार्टी ने एक टीम गठित की है, जो नेताजी के उपवास के पीछे […]

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बेचारी सरकारें….

बेचारी सरकारें….। इतना काम करती हैं…इतना काम करती हैं…लेकिन फिर भी किस्मत में यश ही नहीं है। कितना भी काम कर लो, फिर भी प्रजा शिकायतें ही करती रहती हैं। ऐसे में कहां जाएं सरकारें…। देश में लोकतंत्र है। लेकिन सब लोक की चिंता करते हैं]  तंत्र को कोई नहीं पूछता। बेचारा तंत्र यानि सरकार करे तो क्या करे। इधर […]

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भारतीय चिन्तन और पर्यावरण की चिन्ता

भारतीय संस्कृति और चिन्तन पुरातन काल से ही विश्व को राह दिखलाता आया है। संसार की सभी समस्याओं] सभी विषयों का हल हमारी संस्कृति में निहित है। आज हम पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं। जल] थल] गगन सबको हमने अपनी कारगुजारियों से गंदा कर दिया है। लेकिन यदि हम भारत के ग्रंथ] वेद] आध्यात्मिक विभूतियों की जीवनियों […]

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बेचारा पुल….

बेचारा पुल…..। कब तक सामना करे बरसात का….कब तक सहे इंद्रदेव का कोप। अब कलयुग में कहीं भगवान कृष्ण तो हैं नहीं…. जो उठा ले गिरीराज और रक्षा कर ले इस पुल की। सो मदद के अभाव में भरभराकर गिर जाता है, बेचारा पुल…..। बेचारा पुल…..। जब बनता है तो लोगों में आशा जगाता है। विकास की आशा] तरक्की और […]

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