एक कोरोना प्रभावित प्रेम कथा (व्यंग्य)

लैला के पड़ोस में आज जगराता था। जगराते के बाद अगले दिन भंडारा होना था। लैला थोड़ा असमंजस में थी कि इस कोरोना काल में इन कार्यक्रमों में जाए कि नहीं। काफी उहापोहए काफी सोच.विचार के निर्णय लिया गया कि जगराते में नहींए अगले दिन के भंडारे में जाया जाए। लैला की रिसर्च कहती थी कि जगराता में कोरोना घूम रहा होगा लेकिन भंडारे में कोरोना नहीं आएगा। यह रिसर्च प्रशासन की रिसर्च जैसी ही थी कि कोरोना विवाह शादी समारोह में तो आता हैए लेकिन रैलियों में नहीं। इसलिए शादियां बैन करोए रैलियां नहीं।

आलू की सब्जी और गरमागरम पूड़ियों के स्वाद के आगे लैला का कोविड का भय बौना पड़ गया था। बहरहाल जो आजकल सब के साथ हो रहा हैए वही लैला के साथ हुआ। तीन दिन बाद लैला बीमार पड़ गई। उसे अस्पताल ले जाया गया। बेड की तमाम मारामारी के बावजूद लैला को बैड मिल गया। कैसे मिल गयाए ये जांच का विषय है। दो दिन बाद पक्का हो गया कि कोरोना लैला की खूबसूरती पर फिदा हो गया है और उसके दिल.दिमाग फेफड़ोंए सब पर छा गया है। लैला कोरोना पाजीटिव हैए यह खबर आग की तरह फैली।

कल तक उसकी तीमारदारी कर रहीए अम्मी व खालाए सब अस्पताल से ऐसे गायब हुईए जैसे दिल्ली के अस्पतालों से आक्सीजन। लैला अब राष्ट्रीय धरोहर बन गई थी। यार.दोस्तों ने लाइफ मोटीवेशन के मैसेज भेज.भेजकर उसके व्हाट्सएप्प को तार.तार कर दिया था।

इधर लैला के हालात की खबर मजनूं के पास भी पहंुची। उसने लैला से फोन पर संपर्क साधकर हाल.चाल पूछा।

ष्ष्कैसी हो लैलाए अपना ख्याल रख रही हो ना।ष्ष्

ष्ष्हां ख्याल तो खुद ही रखना पड़ेगाए क्योंकि जिन को ख्याल रखना थाए वे तो भाग ही गए। साला हम जरा से पाजीटिव क्या हुएए लोग नेगीटिव हो गए।ष्ष् लैला ने डायलाॅग मारा।

‘‘ अरे ऐसा क्यों सोचती होए मेरी जान। तुम बताओ तो सही। कहो तो आसमां को तुम्हारे कदमों में झुका दूं। चांद को तुम्हारे बालों का गजरा बना दूंण्ण्ण्ण्।ष्ष् अब मजनूं ने डायलाॅग माराए अपनी चादर से बाहर का। वैसे भी इश्क जब हुस्न से गुफ्तगू करता हैए तो अक्सर अपनी औकात से बाहर आ जाया करता है।

ष्ष्छोड़ो ये सबए ला सकते हो तो एक छोटी सी चीज ला दो।ष्ष्

ष्ष् हां हां बोलो बोलो।ष्ष् मजनूं चहका। उसके मन में प्यार का लड्डू फूटा। उसे लगा कि बस कुछ ही देर में उसके जीवन में ष् कुछ मीठा हो जाएष् मूमैंट आने वाला है।

ष्ष् एक रेमडेसिविर का इंजैक्शन ला दोण्ण्ण्।ष्ष्

लैला के ये कहते ही माहौल में सन्नाटा छा गया था। मजनूं के मन में प्रेम के जो फूल खिल रहे थेए वे झुलस गए थे। प्यार के लड्डू फूटकर चूरे में तब्दील हो गए थे।

उस दिन से लैला रोज मजनूं को फोन कर रही है। लेकिन फोन स्विच आफ आ रहा है।

ण्ण्ण्शायद मजनू ने फोन फ्लाइट मोड़ पर डाल दिया है।

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