उपवास की महिमा

शहर के नेताजी ने उपवास करने का निर्णय लिया है. शहर में अमन रहे, चैन रहे, इस कामना को लेकर वे उपवास रखेंगे. उनके इस उपवास की खबर पूरे शहर में फ़ैल गयी है.
विपक्षी लोग नेताजी के इस कदम से सकते में हैं. शहर की प्रमुख विपक्षी पार्टी ने एक टीम गठित की है, जो नेताजी के उपवास के पीछे की राजनीती और उससे होने वाले नफे-नुकसान की बारीकी से पड़ताल कर उसकी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष को देगी. शहर का  प्रशासन भी परेशान है. अभी- अभी इलाके में एक समाजसेवी चाचा का अनशन हुआ था. अनशन क्या था, पूरा तूफ़ान ही था. जनता सडक पर आ गयी थी. ऐसा लगता था, जैसे भारत छोड़ो आन्दोलन की पुनरावृति हो रही हो.  पूरे प्रशासन की बैंड बज गयी थी. जैसे-तैसे आश्वासन देकर उस अनशन को खत्म करवाया तो अब ये उपवास…”पूरा प्रशासनिक अमला आजकल  अनशन, उपवास, धरने को कंट्रोल करने में ही खर्च हो रहा है.” पुलिस के एक अधिकारी बड़-बड़  कर रहे हैं-“उपवास भी कोई करने की चीज है, करना है तो नगर का विकास करो, उपवास से क्या होगा.?” उधर नेताजी के समर्थक भी सकते में हैं. उन्हें भी नेताजी द्वारा रचित ये माया समझ में नही आ रही है. ये क्या चाल है? उपवास करके नेताजी क्यों अपनी 98 किलो की कमनीय काया को कष्ट देने पर तुले हैं, ये बात उनके दिमाग में घुस नहीं रही. चमचे टाइप समर्थक उपवास से उनकी सेहत को होने वाले सम्भावित खतरे को लेकर चिंतित हैं.”नेताजी उपवास क्यों कर रहे हैं, भैय्या.” एक चमचा दूसरे चमचे से पूछ रिया है. “चलो नेताजी के पास चलकर उनसे ही पूछते हैं.”दूसरे ने जवाब दिया.
“उपवास क्यों कर रहे हैं सर.क्यों खुद को कष्ट दे रहे हैं. इससे बढ़िया तो कोई धरना, या कोई अन्य कम्फर्टेबल आन्दोलन करलो जी” चमचा नेता जी की चिरोरी कर रहा हैं .
“अरे मूर्ख जो आनंद उपवास में है, वो धरने में कहाँ. गाँधी जी भी उपवास किया करते थे.” नेताजी ने कहा.
“मगर सर इसका राजनीतिक फायदा क्या मिलेगा.”
“लेट्स वेट & वाच” नेताजी बोले.
निर्धारित शेड्यूल के मुताबिक नेताजी उपवास पर बैठ गए हैं. जो नेताजी दंगे करवाने के लिए जाने जाते थे, वही अब गांधीवादी अंदाज में भूखे-प्यासे बैठे हैं. पार्श्व में गाना बज रहा है-इश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान्. उपवास कार्यक्रम सभी टीवी चेनलों पर लाइव दिखाया जा रहा है. शांति के लिए किये गए उनके उपवास की चर्चा दुनिया भर में चल पड़ी है. उनके उपवास को भारी जनसमर्थन मिल रहा है. शाम ढल गयी है. उपवास समाप्ति पर है. उपवास स्थल पर नेताजी के पास हाई कमान ने लिखित संदेश भेजकर उन्हें आगामी चुनावों में पार्टी का पीएम पद का उम्मीदवार घोषित करने का निर्णय लिया है. हाई कमान का संदेश सुकर नेताजी चमचों की और देखकर मंद-मंद मुस्कान बिखेर रहे हैं. चमचों को उपवास की “महिमा” समझ में आ गयी है.

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